शनिवार, 29 मार्च 2008

खबर की खोज में

जबसे पत्रकार बना हूं... खबर तलाश रहा हूं लेकिन हर रोज मायूसी ही हाथ लगती है... कभी आमिर खान शाहरूख को नंबर दो बोल हंगामा खड़ा कर देते हैं तो कभी राखी सावंत कोई कारनामा कर जाती है.... और फिर न्यूज चैनल्स की खबर बन जाती है... लेकिन क्या ये सचमुच की खबरें हैं.... कभी मेनका गांधी से जबरन पूछा जाता है, सोनिया के अध्यक्ष पद पर दस साल पूरे करने पर आप क्या कहेंगी... मजबूरी में वो कहती है बधाई हो.. खबर बन जाती है... महज दो सेकेंड की बाइट को बार बार दुहराकर दिखाते हैं... सुर्खियां बटोरने के लिए रैंप पर मॉडलों के कपड़े सरक जाते हैं तो हम उसे सैंकड़ों बार दिखाते हैं.... क्या यही सबसे बड़ी खबर है.... मैं परेशान हूं... ये जानने को बेताब हूं कि आखिर खबर क्या है ?

1 टिप्पणी:

@ngel ~ ने कहा…

khabar ye hai ki - chote chote maasum bacchon ko maa baap bech kar bheekh mangwatate hain , kaise neta log janta ki aankhon mein dhul jhokte hain , khabar ye hai ki - bharat mein kitni garibi hai .. wo din raat mehnat karke bhi ek roti hi paati hai...
actually mein kuch khabarien wo hoti hai jo koi notice nahi karta... lekin wo bhi aakhir khabrien hoti hain.
Aapne bahut acchi baat kahi.
Aaj ke samay mein koi patrakar aisa sochta hai ye kisi khabar se kam hai kya? :)